Ayurveda Kshar, Lavan and Ark
  • Facebook Icon
  • Linkedin Icon

Ayurveda Kshar, Lavan and Ark

Jan 07, 2023

आयुर्वेद में क्षार, लवन, सत्व वर्ग: In Ayurveda, Importance of Kshar, Lavan, Ark Uses


आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में क्षारों, लवणों का अपना महत्व है | क्षर कल्पना आयुर्वेद में पंचाविधा कषाय कल्पना के अंतर्गत आती है | सभी क्क्षार एल्कलाइन होते है | पौधो में पाए जाने पानी में घुलनशील होते है | कई रोगों में इसका उपयोग आश्चर्यजनक प्रभाव देता है |  वनस्पति (plant) क्षार, खनिज (minerals) क्षार, प्रानिजा-(animal) (जानवर) से क्षार) से प्राप्त | सभी वनस्पति औषधि द्रव्य शरद ऋतु में बनाये जाने वाले है |

अर्क क्षार : Ark (Calotropis Procera) Kshar

अर्क पंचांग को सुखाकर व जलाकर बनाया जाता है | यह अर्क क्षर तीक्ष्ण, गुल्म और प्लीहा, यकृत आदि रोगनाशक है| पाचक रस उत्पादक, दीपन तथा कास श्वास नाशक, अग्निवर्धक है |

अडूसा क्षार: Adusa Kshar (Adhatoda Vasaca)

अडूसा पंचांग को सुखाकर व जलाकर, राख बनाकर बनाया जाता है | यह क्षार कास-श्वास और प्रतिश्याय तथा रक्त पित्त नाशक है | शुष्क कास में मिश्री या गुलेबनफ्सा के क्वाथ या शरबत के साथ मिलकर लेने से उपयुक्त प्रभाव देखा जाता है |

अपामार्ग क्षार: Apamarg Kshar (Achyranthes aspera)

अपामार्ग पंचांग को सुखाकर व जलाकर, राख बनाकर बनाया जाता है | अपामार्ग क्षार तीक्ष्ण श्वास, कास, गुल्म, शूल व् उदरशूल, बाधिर्य आदि रोग नाशक है | कफ रोग में मदद करता है |

इमली क्षार: Imli Kshar-Chincha Kshar

इमली क्षार अग्निमांद्य, गुल्म, शुल और उदरशुल, मुत्र कृच्छ और अश्मरी रोग को नष्ट करता है | श्वास कास में | गोमूत्र में मिलाकर श्वेत कुष्ट को नस्ट करता है |

कंटकारी क्षार: Kantkari Kshar

कटेरी पंचांग को सुखाकर व जलाकर, राख बनाकर क्षार बनाया जाता है |

खांसी, श्वास, गले की खराबी, प्रतिश्याय (सर्दी जुकाम), मुत्र कृच्चा, सभी रोगों में प्रयोग होता है |

चणक क्षार: Chanak Kshar

चने के पौधे के पंचाग को सुखाकर व जलाकर, राख बनाकर क्षार बनाया जाता है |

चणक क्षार मन्दाग्नि, कफ, गुल्म, प्लीहा, अजीर्ण, संग्रहणी, विसूचिका, आध्यमान, शूलरोग, आरोचक आदि में प्रयोग होता है |

तिल क्षार: Til Kshar

तिल के पंचांग को सुखाकर व जलाकर, राख बनाकर क्षार बनाया जाता है | तिल क्षार तीक्ष्ण मुत्रावरोध, अश्मरी और प्लीहा को दूर करता है | व्रण का भेदन करता है | जठराग्नि को प्रदीप्त करता है | वृक्कशुल को कम करता है |

अन्य क्षार द्रव्य भी बहुत उपयोगी व आयुर्वेदाचायों द्वारा प्रयोग किया जाता है – जैसे -  वज्रका क्षार (Vajraka KShar), स्वर्जिका क्षार(Swarjika KShar), टंकण क्षार (Tankan Kshar), धतुरा क्षार (Dhatura Kshar), कदली क्षार (kadli Kshar), अंकोल क्षार(Ankol KShar), धात्री क्षार (Dhatri Kshar), शर्फुनका क्षार (Sharphunka Kshaar), पिप्पल क्षार (Pippali Kshar), पुनर्नवा क्षार (Punarnava Kshar), मूली क्षार (Mooli Kshar), स्नुही क्षार (Snuhi Kshar- Euphorbia Neriifolia), (Avitoladi), खदिर (), करंज (), Patala-Stereospermum suaveolens), (Shirish- Albizia Lebbaik), (Palash-Butea Frondosa), (Paribhadra – Erythrina Indica), Saptaparna-Alstonia Scholaris), Sorak(Sora), नवसादर (Navasadar) |

अन्य लवण द्रव्य भी बहुत उपयोगी है, व आयुर्वेदाचायों द्वारा प्रयोग किया जाता है – अर्क लवण (Ark Lavan), अभया लवण (Abhaya Lavan), नारिकेल लवण (Narikel Lavan), गिलोय सत्व (Giloy Satva), चिरायता सत्व (Chirayata Satava), कुटज सत्व (Kutaj Satva), अदरख सत्व (Adrakha Satva),

अन्य अर्क द्रव्य का प्रयोग भी किया जाता है | अजवाइन अर्क, चोब्चिनी, गुलाब अर्क, कासनी अर्क, केवडा अर्क, मकोह अर्क, गोरखमुंडी अर्क, मुश्क अर्क, व अन्य ||

* Some addition is pending

 

 

SHARE WITH

  • Facebook
  • Linkedin